A Secret Weapon For Shodashi
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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
इस सृष्टि का आधारभूत क्या है और किसमें इसका लय होता है? किस उपाय से यह सामान्य मानव इस संसार रूपी सागर में अपनी इच्छाओं को कामनाओं को पूर्ण कर सकता है?
हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता
सर्वानन्द-मयेन मध्य-विलसच्छ्री-विनदुनाऽलङ्कृतम् ।
क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥
ह्रींमन्त्राराध्यदेवीं श्रुतिशतशिखरैर्मृग्यमाणां मृगाक्षीम् ।
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra makes a spiritual shield all around devotees, guarding them from negativity and harmful influences. This mantra functions for a source of security, helping folks preserve a beneficial surroundings totally free from mental and spiritual disturbances.
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी पञ्चरत्न स्तोत्रं ॥
श्रीचक्रान्तर्निषण्णा गुहवरजननी दुष्टहन्त्री वरेण्या
ऐसी कौन सी क्रिया है, जो सभी सिद्धियों को देने वाली है? ऐसी कौन सी क्रिया है, जो परम श्रेष्ठ है? ऐसा कौन सा योग जो स्वर्ग और मोक्ष को देने वाला? ऐसा कौन सा उपाय है जिसके द्वारा साधारण मानव बिना तीर्थ, दान, यज्ञ और ध्यान के पूर्ण सिद्धि प्राप्त कर सकता है?
Shodashi’s impact promotes intuition, helping devotees obtain their interior knowledge and build belief within their instincts. Chanting her mantra strengthens intuitive abilities, guiding folks towards conclusions here aligned with their greatest superior.
ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं तां वन्दे सिद्धमातृकाम् ॥५॥
प्रासाद उत्सर्ग विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि